Sunday, August 19, 2012

नॉटिंगहम में महात्मा गांधीजी - सन 1931

                                                            

नॉटिंगहम के 'ओल्ड मार्केट स्कवेर' में है 'काउन्सिल बिल्डिंग' अर्थात यहाँ का मुख्य सरकारी दफ्तर। जनता की सुविधा, व्यवसाय के प्रबंध, शहर चलाने की व्यवस्था के सभी काम कुछ हद तक काउन्सिल के हाथ में होते हैं। उदाहरण के तौर पर गरीबों के लिए सस्ते या मुफ्त घरों का आयोजन करना, दुकानों और कारोबारों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी और उपयुक्त हालातों का प्रयोजन करना, सरकारी पाठशालाएँ चलाना, यातायात के प्रबंध, समय पर कचरा जमा करना, लोगों से टेकस वसूल करना इत्यादि।

शहर की सजावट करती है कौंसिल, सार्वजनिक त्योहारों को मानाने का आयोजन करती है। शहर को सुन्दर रखने में एवं समाज को मिलजुलकर सकारात्मक रचनात्मक कार्यों में जुटाने का जिम्मा है काउन्सिल पर।
यह संभव होता है क्योंकि सर्व साधारण लोग अपने घर की तरह पास पड़ोस के इलाके को भी अपना ही समझकर शान्ति और सफाई का ख्याल रखते हैं। नॉटिंगहम के मूल निवासी ज्यादातर आपस में मित्रता और प्रेमभाव बनाए रखते हैं, समय आने पर एक दूसरे की सहायता करते हैं और सदैव देशप्रेम का भाव जताते हैं। चाहे ओलिम्पिक्स के मैदान पर हो या 'चैरिटी' के क्षेत्र में। जरुरत पड़ने पर श्रम दान करते हैं और दिल खोलकर पैसे/चंदा भी देते हैं।

तब शायद अचरज की बात नहीं की 'कौंसिल बिल्डिंग' के अन्दर महात्मा गाँधीजी का पुतला है। गांधीजी के अहिंसक सत्याग्रह से भारत को आजादी मिली मगर उनके जो राजनीतिक एवं सामाजिक बदलाव के सन्दर्भ में उपदेश थे उनका पालन एक तरह से यहीं पर देखने को मिलता है। यहाँ सरकार का अत्याधिक काम जनता के हित में होता है, भ्रष्टाचार न के बराबर होता है। इसके अलावा गांधीजी आजाद भारत में सेंकडों आत्मनिर्भर संप्रदायों का निर्माण होते देखना चाहते थे। अर्थव्यवस्था भी ऐसी चाहते थे जिसमें हर नागरिक आत्मनिर्भरता और आत्मसन्मान से जीने का अवसर पा सके। वे चाहते थे की हर मनुष्य ऐसे अवसरों का लाभ पाकर, उच्च सामाजिक मूल्यों को सराहे, व्यक्तिगत रूप से उदारता, सहानुभूतिशीलता और सच्चाई की राह पर चले।

इस हफ्ते 15 अगस्त के अवसर पर राष्ट्रिय झंडा फहराया गया, नॉटिंगहम में भी। भारत में आज कहीं निराशा है यही देखकर की अभी देश में गांधीजी के सभी सपनें साकार नहीं हुए हैं। किन्तु जो भारतीय मूल के लोग नॉटिंगहम में रहते हैं उनको काउन्सिल बिल्डिंग में सजी गांधीजी की मूर्ती प्रतिदिन आशा और साहस दिलाती है और कुछ अच्छी सीख नॉटिंगहम-वासियों से भी मिलती हैं। इसीलिए कोशिश जारी है लोगों की अच्छाई पर गोर करते हुए अपने आप में सकारात्मक परिवर्तन करने की। आखिर जब हर व्यक्ति में बदलाव होगा तभी तो समाज में बदलाव होगा।


काउन्सिल बिल्डिंग का भव्य रूप और 'मार्केट स्क्वर' सा खुला सुन्दर स्थान प्रतिदिन लोगों को पुलकित करता है। पास ही में 'मेड मरियन वे' पर प्रसिध 'इन्डियन रेस्तौरांट' है '4,500 माईलस फ्रॉम दिल्ली' नामक। ऐसा महसूस होता है इन्ही विचारों की राह पर चलते रहो तो शायद दिल्ली इतनी दूर नहीं। इंग्लेंड की तरह भारत में भी शायद जल्द ही ऐसे सुन्दर शहर देखने को मिलेंगे। आशा तो यही है।