Sunday, September 16, 2012

कुछ कुछ उल्टा पुल्टा सफ़र

                                           

कभी नदी की धारा उलटी दिशा में बहती देखी  है?  नौटिंघम वासियों को जीवन जल देने वाली विशाल नदी है 'रिवर ट्रेंट'। इस नदी का प्रवाह चलता है दक्षिण से उत्तर की ओर, अंत में वह 'नोर्थ सी' सागर में मिल जाती है।

नदी की धारा से जिंदगी की धारा है। 'ट्रेंट' नदी का यही असर है नौटिंघम के लोगों पर। सदियों से यहाँ बसे लोगों को ट्रेंट से पीने का पानी मिलता आ रहा है। दोसो साल पहले नदी पर बनाए गए 'नौटिंघम कनाल' के जरिये यहाँ की खानों से कोयला दूर दूर तक पहुंचाया जाता था। इन दिनों कनालों का आनंद पर्यटक उठाते हैं 'बोटिंग' के जरिये। कुछ जन्मदिवस मानाने क लिए दोस्तों के साथ नदी की सैर करते हैं तो कुछ अपनी शादी का जश्न करते हुए 'ट्रेंट रिवर क्रूज़' पर निकल पड़ते हैं। हर साल अगस्त के महीने में 'रिवरसाइड' त्यौहार मनाया जाता है। दिन में नदी के किनारे खाना पीना, मौज मस्ती और रात को खूबसूरत फाटकों की लाइटिंग से नदी को दुल्हन की तरह सजाते हैं। आकाश को छूने वाली सुन्दर आतिशबाजी देखते ही बनती है। नीचे ठंडी शीतल हवा में नदी का प्रवाह चलता ही रहता है और नदी की शीतल माया से जिंदगी।

नदी पर अलग अलग जगहों पर पंद्रह पुल बने हुए हैं। इनमें मुख्य है 'ट्रेंट ब्रिज' जो नौटिंघम शहर की ओर ले जाता है। 'ट्रेंट ब्रिज' के नाम से ही नदी के किनारे बना है बड़ा लोकप्रिय क्रिकेट ग्राउंड। औगस्त 2011 में 'ट्रेंट ब्रिज' पर  इंग्लेंड और भारत के बीच पचासवा टेस्ट मैच खेला गया मगर ये मत पूछिए की हम जीते या नहीं। यहाँ रहने वाले हिंदी भाषीय लोगों को यह पेचीदा सवाल भांता नहीं जो 'क्रिकेट टेस्ट' के नाम से ही जाना जाता है।

ट्रेंट नदी के पास ही है रेलवे स्टेशन। क्यों न यहाँ से एक ट्रेन लेकर सीधे बीस्टन चला जाए। शहर के बीचोबीच से शहर की सरहद पर। बीस्टन से चलेंगे वोलाटन जो नौटिंघम का पश्चिमी हिस्सा है, फिर उत्तर में आर्नोल्ड और अंततः पूरभ में कार्लटन का हिन्दू मंदिर। याने नदी की तरह नीचे से ऊपर, पश्चिम से पूरभ - थोडा सा उल्टा पुल्टा।